बावरा मन
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मौन तोड़ ना सका
कुछ बोल ना सका
अंगराई लेती
उथल पुथल मचाती
संवेदनाएँ, भावनाएँ
बनकर आँसू
नयनों से गिर पड़े
मिल धूल धरा में
खोते अपने अस्तित्व को
फिर बोल पड़े
” जिंदा रहूँ तुझमें
मेरी अभिलाषा है
एक दरिया तेरे अंदर
फिर भी क्यूँ प्यासा है
हो सके तो, अगली बार
मौन तोड़ना
बोलना, कुछ जरुर बोलना ”
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